कश्ती में सवार होना ही नहीं, किनारे पार लगाना भी सीखना होगा, उस मांझी से पूछो जो केवल अपनी नहीं, अपने साथ कितने लोगों को पार पूँछता है, कितना आनंद है किसी को पार तक ले जाने में | तुम केवल राही नहीं, नाविक बनना सीखो , केवल अपनी नहीं, दूसरों का मार्गदर्शक बनो ||