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Showing posts from July, 2023

उन्मादित पतंगा

उन्मादित पतंगा कभी सोच में डूबी यही , जाने तू कहाँ से आई, लगा के पंख उड़ चली, पर क्यों आई इठलाई ? किसी ने कभी प्यार से सहलाया या फुसलाया? इस लिबास को किसी ने सराहा ? या बस यूँहीं दीवारें फांद फांद कर बौरायी, ख़ुद पे यूँहीं ठिठलाई।