एक औरत घर छोड़
आई तुम्हारे आंगन सजाने को ।
अपनी खुशियों की सेंध लगा
आ गई खुशियां फैलाने को ।
आई तुम्हारे आंगन सजाने को ।
अपनी खुशियों की सेंध लगा
आ गई खुशियां फैलाने को ।
पर एक बार न तूने उसको
देखा न स्वीकार किया ।
अपने अहंकार में तूने
उसको दुत्कार दिया ।
देखा न स्वीकार किया ।
अपने अहंकार में तूने
उसको दुत्कार दिया ।
वो क्या बोले बेजुबान अबला नारी
उसने अपनी जिंदगी वैसे स्वीकार किया ।
बस यही आस लगाए बैठी है अंदर
समय कब करवट लेगा और होगा भाग्य पलट ।
उसने अपनी जिंदगी वैसे स्वीकार किया ।
बस यही आस लगाए बैठी है अंदर
समय कब करवट लेगा और होगा भाग्य पलट ।
पर न इंतजार करना किसी की
यह है मेरी सीख ।
तू शक्ति है , तू जन्मदात्री
मत मांग दया की भीख ।
यह है मेरी सीख ।
तू शक्ति है , तू जन्मदात्री
मत मांग दया की भीख ।
तू उठकर चलकर आगे बढ़
दे दुनिया को यह पाठ।
मैं नहीं अबला , मैं नहीं कोमल
मैं हूं शक्ति का भंडार ।।
दे दुनिया को यह पाठ।
मैं नहीं अबला , मैं नहीं कोमल
मैं हूं शक्ति का भंडार ।।
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