मैं बच्ची ही रहना चाहती हूं ,
और चाहती हूं कि सब बच्चे ही रहें |
इस दुनिया के खेल में, जीतने की होड़ में ,
सब मदारी बने हुए हैं ,
लोगों को सच्ची झूठी की गोलियां पिला रहे हैं ,
और इसको डिप्लोमेसी बोल रहे हैं |
इन्हें इस दुनिया में जीवित रहने का यही मंत्र पता है.
लड़ो , गिराओ और अपना रास्ता बनाओ ||
जी चाहता है इनके कान मरोड़ूँ ,
और बैठा दूं बच्चों की कक्षा में और बोलूं ,
सीख इनसे जिंदगी जी कैसे जाती है ,
दुनिया की भाषा क्या होती है,
और लोगों को कैसे पढ़ा जाता है ||
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