समय का पहिया घूम रहा है...
जाने कैसे कैसे खेल खेल रहा है...
कल जो सोचा था...
की उन पगडंदियों पर मत जाना....
खुद को मत खोना...
आज वही रास्ते सही लग रहे हैं...
उन्ही रास्तों में खुद को पाने का विश्वास है...
ना हम बदले...ना रास्ते बदले...
ये समय बदला...
ये समय का ही तो खेल है....
कल जो अपने पराए थे...
जाने कैसा मनमुटाव था..
आज फिर अपने हो गये हैं....
दिल से दिल मिल गये हैं...
ना हम बदले ...ना वो बदले
ये समय बदला
ये समय का ही तो खेल है...
कल जिन भावनाओं से मुह मोड़ लिया....
सोचा ये मेरे किस काम के...
आज उन्हीं भावनाओं की कद्र है....
उन्हीं अहसासों की आस है...
ना हम बदले...ना भावनाए बदलीं...
ये समय बदला
ये समय का ही तो खेल है....
समय सारे घावों को भड़ता है....
लोगों के बीच दूरियाँ मिटाता है....
अच्छे बुरे का भेद बताता है....
बस खुद को समय के हवाले छोड़ दो....
सब ठीक हो जाएगा...
ये समय का दिलासा है...
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